सूर्य मिशन या आदित्य L1 क्या है | Aditya L1 – The Sun Mission

आदित्य L1 मिशन ( सूर्य मिशन, उद्देश्य, सवालों के जवाब, लॉन्च की तारीख, बजट, कोरोनल, इसरो (ISRO) )

भारतीय अंतरिक्ष एवं अनुसंधान संगठन (इसरो) चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग के बाद नवीनतम अंतरिक्ष यान लॉन्च करने के लिए पूरी तरह तैयार है। आपको बता दें कि इसरो आदित्य एल1 मिशन लॉन्च करने जा रहा है जो इसरो का पहला सौर मिशन है। हमारे पास उपलब्ध विवरण के अनुसार, आदित्य एल-1 लॉन्च की तारीख 2 सितंबर 2023 है और इस मिशन का उद्देश्य अंतरिक्ष मौसम और सूर्य पर गैसों का अध्ययन करना है। आप इस पोस्ट में आदित्य एल1 मिशन विवरण पा सकते हैं और फिर पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। आपको पता होना चाहिए कि इसरो का आदित्य एल1 सौर मिशन अपनी तरह का पहला है और इसका लक्ष्य सूर्य पृथ्वी सौर मंडल के लैग्रेंजियन प्वाइंट (एल1) तक पहुंचना है। यदि आप इसरो आदित्य एल1 मिशन बजट के बारे में जानने में रुचि रखते हैंतो हम आपको सूचित करना चाहते हैं कि यह सितंबर 2023 तक 400 करोड़ रुपये के बजट पर बनाया गया है। आपको पता होना चाहिए कि इसरो एल 1 लॉन्च वाहन पीएसएलवी-एक्सएल है जिस पर अंतरिक्ष यान सूर्य की कक्षा तक पहुंचेगा। हम सभी जानते हैं कि इसरो एक के बाद एक सफल मिशन देकर नई ऊंचाइयों को छू रहा है।

Sun

मिशन के उद्देश्य

आदित्य एल1 मिशन के प्रमुख विज्ञान उद्देश्य हैं:

  • सौर ऊपरी वायुमंडलीय (क्रोमोस्फीयर और कोरोना) गतिशीलता का अध्ययन।
  • क्रोमोस्फेरिक और कोरोनल हीटिंग का अध्ययन, आंशिक रूप से आयनित प्लाज्मा की भौतिकी, कोरोनल द्रव्यमान इजेक्शन की शुरुआत, और फ्लेयर्स
  • सूर्य से कण गतिशीलता के अध्ययन के लिए डेटा प्रदान करने वाले इन-सीटू कण और प्लाज्मा वातावरण का निरीक्षण करें।
  • सौर कोरोना का भौतिकी और इसका तापन तंत्र।
  • कोरोनल और कोरोनल लूप प्लाज्मा का निदान: तापमान, वेग और घनत्व।
  • सीएमई का विकास, गतिशीलता और उत्पत्ति।
  • कई परतों (क्रोमोस्फीयर, बेस और विस्तारित कोरोना) पर होने वाली प्रक्रियाओं के अनुक्रम की पहचान करें जो अंततः सौर विस्फोट की घटनाओं की ओर ले जाती हैं।
  • सौर कोरोना में चुंबकीय क्षेत्र टोपोलॉजी और चुंबकीय क्षेत्र माप।
  • अंतरिक्ष मौसम के लिए चालक (सौर हवा की उत्पत्ति, संरचना और गतिशीलता।

आदित्य- L1 मिशन और सूर्य से जुड़े 10 सवालों के जवाब, जिसे आपको जरूर जानने चाहिए।  

Aditya-L1 Mission: 02 सितंबर 2023 को आदित्य-एल 1 मिशन लॉन्च के लिए तैयार है, जोकि सूर्य के एक खास पॉइंट पर जाएगा | जानें सूर्य से जुड़े ऐसे सवालों के जवाब जो आपको पता होने चाहिए|

Aditya L1: आदित्य- L1 मिशन और सूर्य से जुड़े 10 सवालों के जवाब, जो आपको जरूर जानने चाहिए|

Aditya-L1 Mission: चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिग के बाद अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) एक और मिशन के लिए जी जान लगाने के लिए तैयार है, जिसका नाम है आदित्य-एल 1 मिशन। सूर्य पर जाने के लिए आदित्य एल 1 मिशन शनिवार 02 सितंबर 2023 को सुबह 11 बजकर 50 मिनट कर श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा।

इसरो (ISRO) के इस मिशन का उद्देश्य एल1 के चारों ओर की कक्षा से सूर्य का अध्ययन करना है। यह विभिन्न तरंग बैंडों में प्रकाशमंडल, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की बाहरी परतों (कोरोना) का निरीक्षण करने के लिए सात पेलोड लेकर जाएगा। भारत आदित्य-एल1 मिशन के माध्यम से पहली बार सूर्य पर रिसर्च करने जा रहा है। लेकिन इस खबर में आपको हम सूर्य से जुड़े ऐसे 10 धार्मिक और वैज्ञानिक सवालों के जवाब बताएंगे, जिसे आपको जरूर जानना चाहिए।

सूर्य पर कितने मिशन भेजे गए: भले ही भारत आदित्य-एल1 मिशन के जरिए पहली बार सूरज पर रिसर्च करने जा रहा है। लेकिन इससे पहले सूर्य पर कुल 22 मिशन भेजे जा चुके हैं। इनमें सबसे ज्यादा नासा ने 14 मिशन किए हैं।

आदित्य L1 मिशन से सूर्य पर क्या मिलेगा: आदित्य-एल1 मिशन को लेकर देशवासी काफी उत्साहित है। लेकिन सवाल यह है कि आदित्य-एल1 को सूर्य पर क्या मिलेगा। इस मिशन के जरिए इसरो (ISRO) सूर्य की परतों की गतिशीलता का अध्ययन करेगा और साथ ही सूर्य के कण गतिशीलता के अध्ययन के लिए डेटा प्रदान करने वाले इन-सीटू पार्टिकल और प्लाज्मा वातावरण का अध्ययन किया जाएगा।

सूर्य का आकार:  सूर्य को सौरमंडल का सबसे बड़ा पिंड कहा जाता है। इसका व्यास लगभग 13 लाख 90 हजार किलोमीटर है, जोकि पृथ्वी से लगभग 109 गुना बड़ा है। सूर्य का आकार 696,340 कि.मी है।

सूर्य का तापमान कितना है: वैज्ञानिक प्रयोगों के आधार पर सूर्य के केंद्र का तापमान अनुमानित 150 लाख डिग्री सेंटीग्रेड है। सूर्य के केंद्र में न्यूक्लियर फ्यूजन की क्रिया होती रहती है, जिस कारण ऊष्मा उत्पन्न होती है। सूर्य के सतह पर गुरूत्वाकर्षण बल के कारण दबाव बनाता है, जिसके कारण इसकी सतह का तापमान लगभग 6,000 डिग्री सेंटीग्रेड है। इसलिए जब गर्मियों में तापमान 45 डिग्री पहुंच जाता है तो हमारे पसीने छूट जाते हैं। ऐसे में सूर्य का तापमान तो उससे डेढ़ हजार गुणा अधिक है।

सूर्य कैसे बने ग्रहों के राजा: ज्योतिष में सूर्य को नवग्रहों का राजा कहा जाता है। वहीं विज्ञान भी यह मानता है कि, सूर्य के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है. सूर्य को ग्रहों का राजा कहे जाने का एक कारण यह भी है कि, सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं।

कब होगी सूरज की मौत: सूर्य के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं जा सकती है। लेकिन वैज्ञानिकों की माने तो आने वाले 5 अरब साल में सूर्य की मौत हो जाएगी। वैज्ञानिकों के अनुसार, अपने अंत से पहले सूर्य बहुत अधिक गर्म और चमकदार हो जाएगा।

पृथ्वी की रफ्तार से सूर्य का संबंध: पृथ्वी अपने कक्ष में घूमने के साथ सूर्य की परिक्रमा करती है, जिसे हम वार्षिक गति कहते हैं। पृथ्वी सूर्य की एक परिक्रमा 365 दिन 6 घंटे और 45.51 सेकेंड में पूरा करती है। 

सूर्य की सात किरणें: उगते हुए सूर्य की हजारों किरणें होती हैं, जिसमें सात किरणें पृथ्वी पर पड़ती है, जिसके नाम हैं- सुषुम्णा, सुरादना, उदन्वसु, विश्वकर्मा, उदावसु, विश्वव्यचा और हरिकेश। सूर्य की सात किरणें अलग-अलग रंगों की होती है। यही कारण है कि हिंदू धर्म में उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का मह्तव है।

FAQs

आदित्य L1 लॉन्च की तारीख क्या है?

आदित्य एल1 की लॉन्च डेट 2 सितंबर 2023 है।

सूर्य मिशन का नाम आदित्य एल1 क्यों रखा गया?

“आदित्य” का नाम सूर्य और आदित्यों के नाम पर रखा गया है, जो सूर्य का प्रतिनिधित्व करने वाले हिंदू देवता हैं। “एल1” पदनाम लैग्रेंज बिंदु 1 को दर्शाता है, जो सूर्य और पृथ्वी के बीच अंतरिक्ष यान का गंतव्य हैं ।

इसरो के आदित्य एल1 का बजट क्या है?

आदित्य एल1 का बजट 400 करोड़ रुपये है।

आदित्य L1 प्रक्षेपण यान क्या है?

आदित्य एल 1 प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-एक्सएल है।

कोरोना द्रव्य उत्क्षेपण क्या हैं?

कोरोना द्रव्य उत्क्षेपण अध्ययन (coronal mass ejection) सूरज के कोरोना से एक असामान्य रूप से बड़ी प्लाज़्मा और उस से सम्बन्धित चुम्बकीय क्षेत्र की मात्रा को अंतरिक्ष में फेंक दिये जाने की परिघटना को कहते हैं। यह अक्सर सौर प्रज्वालों (solar flares) के बाद होता है और सौर उभार (solar prominence) के उमड़ावों के साथ देखा जाता है।

कोरोनल (कोरोना) क्या हैं।

कोरोना सूर्य का बाहरी वातावरण हैं, जो बाहरी अंतरिक्ष में करोड़ों किलोमीटर तक फैला हुआ है |

इसरो की फुल फॉर्म क्या हैं?

भारतीय अंतरिक्ष एवं अनुसंधान संगठन |

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